उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में हाल ही में हुए मंगेश यादव एनकाउंटर ने राज्य में एक बार फिर से पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मंगेश यादव, जो कि एक लाख रुपये के इनामी बदमाश थे, को यूपी स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने मुठभेड़ में मार गिराया।
घटना का विवरण
28 अगस्त को सुल्तानपुर के भरत ज्वेलर्स में हुई डकैती के मुख्य आरोपी मंगेश यादव को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। पुलिस का दावा है कि मंगेश के पास से 32 बोर की पिस्टल, कारतूस, 315 बोर का पिस्टल, बाइक और लूटे गए आभूषण बरामद किए गए हैं.
विवाद और सवाल
इस एनकाउंटर के बाद कई सवाल उठे हैं:
- एनकाउंटर की वैधता: मंगेश यादव की बहन का दावा है कि मंगेश को गलत तरीके से फंसाया गया और उसका एनकाउंटर फर्जी था.
- पुलिस की भूमिका: समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि मंगेश की हत्या जाति के आधार पर की गई.
- परिवार की मांग: मंगेश यादव के परिवार ने न्यायिक जांच की मांग की है और कहा है कि पुलिस ने मंगेश को पहले ही हिरासत में ले लिया था.
पुलिस द्वारा फर्जी मुठभेड़ क्यों की जाती हैं?
फर्जी मुठभेड़ों के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
- पुरस्कार और पदोन्नति: कई बार पुलिस अधिकारियों को फर्जी मुठभेड़ों के लिए पुरस्कार और पदोन्नति दी जाती है। इससे उन्हें ऐसे कार्यों के लिए प्रोत्साहन मिलता है.
- दबाव और अपेक्षाएँ: पुलिस पर अपराधियों को पकड़ने और अपराध दर को कम करने का दबाव होता है। कभी-कभी, वे त्वरित परिणाम दिखाने के लिए फर्जी मुठभेड़ों का सहारा लेते हैं.
- सार्वजनिक समर्थन: कुछ मामलों में, जनता भी पुलिस की ऐसी कार्रवाइयों का समर्थन करती है, जिससे पुलिस को ऐसा करने का मनोबल मिलता है.
पुलिस की निशानेबाजी पर व्यंग्य
उत्तर प्रदेश पुलिस की निशानेबाजी की तो बात ही निराली है। वे हमेशा पैर में ही गोली मारते हैं। ऐसा लगता है कि उनके पास कोई अद्भुत निशानेबाजी का हुनर है। समझ नहीं आता कि यूपी सरकार इन पुलिसवालों को ओलंपिक में क्यों नहीं भेजती, वे तो गोल्ड मेडल पक्का जीतकर लाएंगे!
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस मामले में राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधि मंडल ने मंगेश यादव के परिवार से मुलाकात की और उन्हें न्याय दिलाने का आश्वासन दिया. वहीं, बीजेपी ने समाजवादी पार्टी पर अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया.
निष्कर्ष
मंगेश यादव एनकाउंटर ने एक बार फिर से पुलिस मुठभेड़ों की वैधता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग जोर पकड़ रही है, ताकि सच्चाई सामने आ सके और