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चिकित्सा में भ्रष्टाचार – अभिशाप

भारत में चिकित्सा शिक्षा को समाज में अत्यधिक सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त है, लेकिन इस क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार ने इसकी जड़ों को हिला दिया है। निजी मेडिकल कॉलेजों में सीटों की खरीद-फरोख्त और प्रवेश प्रक्रियाओं में धांधली जैसी घटनाओं ने न केवल प्रतिभाशाली छात्रों के भविष्य को खतरे में डाल दिया है, बल्कि चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 

 

चिकित्सा शिक्षा में भ्रष्टाचार की सबसे गंभीर समस्या निजी कॉलेजों में सीटों की अवैध बिक्री है। हाल ही में कर्नाटक और तमिलनाडु में मेडिकल सीटों की लाखों-करोड़ों रुपये में बिक्री के मामले सामने आए। इन राज्यों में निजी मेडिकल कॉलेजों ने एमबीबीएस और पोस्टग्रेजुएट सीटों को भारी रकम लेकर बेचा, जिससे योग्य छात्रों के लिए अवसर कम हो गए।

 

इसके अलावा, 2013 में मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इस घोटाले में प्रवेश परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर धांधली की गई, जिसमें परीक्षा अधिकारियों, छात्रों और उनके परिवारों के बीच मिलीभगत से अयोग्य छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश दिलाया गया। इस घोटाले ने न केवल शिक्षा प्रणाली पर बल्कि कानून व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

 

चिकित्सा शिक्षा में इस प्रकार के भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा असर इसकी गुणवत्ता पर पड़ा है। धन के आधार पर प्रवेश पाने वाले छात्र अपेक्षित ज्ञान और कौशल से वंचित रह जाते हैं। नतीजतन, देश को अयोग्य डॉक्टर मिलते हैं, जो मरीजों की जान जोखिम में डालते हैं। 2019 में महाराष्ट्र में एक डॉक्टर को गलत सर्जरी के कारण गिरफ्तार किया गया था, जिससे मरीज की जान चली गई। यह घटना भ्रष्टाचार के कारण चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट का प्रत्यक्ष उदाहरण है।

 

चिकित्सा शिक्षा में भ्रष्टाचार का दुष्प्रभाव केवल शिक्षा क्षेत्र तक सीमित नहीं है। यह समाज के व्यापक हिस्सों को प्रभावित करता है। अयोग्य डॉक्टरों की फौज स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति लोगों का विश्वास तोड़ रही है। गरीब और कमजोर वर्ग के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, क्योंकि उनके पास बेहतर विकल्प नहीं होते।

 

इस स्थिति से निपटने के लिए सरकारी और निजी संस्थानों को मिलकर काम करना होगा। प्रवेश प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करना, निजी कॉलेजों की फीस संरचना की नियमित जांच और शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देना आवश्यक है। इसके लिए कड़ी निगरानी और सख्त कानूनी कार्रवाई भी जरूरी है।

 

भारत में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ते भ्रष्टाचार ने देश की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। इसे समाप्त करने के लिए सभी संबंधित पक्षों को सख्त कदम उठाने होंगे। जब तक चिकित्सा शिक्षा को भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं किया जाएगा, तब तक देश को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल सकेंगी। बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और समाज की भलाई के लिए यह जरूरी है कि डॉक्टरों का चयन उनके ज्ञान और कौशल के आधार पर हो, न कि पैसे के बल पर।